धनबाद के कतरास में राष्ट्रीय राजमार्ग के अंडरपास में 3-4 फुट तक पानी जम गया. इसी अंडरपास के पास एक तेल टैंकर अनियंत्रित होकर पलट गया. जिसकी वजह से रोड पर जाम लग गया. प्रशासन की मदद से वाहनों को अन्य मार्ग से भेजकर रोड को खाली कराया गया. नेशनल बोकारो-राजगंज मुख्य मार्ग (NH-32) के गौशाला पुल के नीचे पानी जम जाने की वजह से कई वाहन फंस गये थे. सुबह में छोटी गाड़ियों ने पानी से गुजरने की बजाय रास्ता बदलना उचित समझा. बड़ी गाड़ियां भी बेहद सावधानी से गुजरीं. बाईक वाले अपनी बाईक को धकेलते हुए अंडरपास के दूसरी ओर पहुंचे.
इसी अंडरपास के पास सोमवार की रात एक तेल टैंकर अनियंत्रित होकर पलट गया. चालक बाल-बाल बच गया. इसकी वजह से इस रास्ते से वाहनों का आवागमन बाधित हो गया. सड़क के दोनों ओर वाहनों की लंबी-लंबी कतार लग गयी. प्रशासन की पहल पर वाहनों को दूसरे रास्ते से भेजा गया. तब जाकर सुबह तक स्थिति सामान्य हो पायी. दूसरी तरफ, अंडरपास में 3-4 फुट तक पानी जम गया, जिसकी वजह से वाहन चालक उसे पार करने में डर रहे थे।
उल्लेखनीय है कि इस अंडरपास के पूर्व अंग्रेजों के जमाने का पत्थर का सिंगल पुल था जिसके नीचे से एक ही गाड़ी पास करती थी।उस वक्त भी ऐसे ही पानी भर जाता था और गाड़ियां हिचकोले खाकर पार होती थी। उस समय भी बारिश होने पर गाड़ियों की लंबी कतार लग जाती थी। अब समय बदला , टेक्नोलॉजी बदला तो एनएचएआई ने सिंगल की जगह दो अंडर पास बना दिए परन्तु जो परेशानियां थी वह अब भी बरकरार है। हां इतना जरूर हुआ कि दो विशाल अंडर पास बन गये जिससे गाड़ियों के फंसने का खतरा तो दूर हो गया। विशेष लाभ यहां हुआ कि अब यह मार्ग पहले की अपेक्षा और भी बिजी हो गया।छोटी की जगह विशाल गाडियां आसानी से पार होने लगी परन्तु जल जमाव की जो तकलीफ थी वह धरीं की धरी रह गयी। आज़ भी कभी भी जब भी बारिश होती है आंखों के सामने वही खौफनाक दृश्य सामने दिखाई पड़ने लगता है। गाड़ी वाले अंडर पास पार करने के समय भगवान का नाम लेकर इस बात से सिहर जाते हैं कि पानी के तालाब में कहीं उनकी गाड़ी बंद न हो जाए। एनएचएआई को लगता है जैसे उसे लोगों की इस परेशानी से जैसे कोई सरोकार नहीं है। नतीजतन छोटी बड़ी गाडियां पानी को चीरते हुए निकल रही है जिससे डर बना रहता है कि कहीं वह दुर्घटना का शिकार न हो जाएं। पानी में गाड़ियों के बंद होने की समस्या तो आम है जिसका एक मात्र समाधान चल यार धक्का मारो । अब सवाल उठता है कि आखिर कब तक जिले के हुक्मरानों की नींद खुलेगी और कब तक इसका स्थायी समाधान हो सकेगा। क्योंकि अभी यह हाल है तो बरसात में नजारा क्या होगा?